चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल हुई है। इस पर पूरे देश को गर्व है। हालांकि, अभी चंद्रयान की राह में कई मुश्किलें भी हैं। हम आपको ऐसी ही पांच बड़ी चुनौतियों के बारे में बताने जा रहे हैं।
भारतीय वैज्ञानिकों ने दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। पूरी दुनिया की नजर इस मिशन पर टिकी है। चंद्रयान-3 चांद के उस हिस्से (शेकलटन क्रेटर) पर उतर सकता है जहां अभी तक किसी भी देश का कोई अभियान नहीं पहुंचा है। चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट से लॉन्च किया गया। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है।
लॉन्चिंग सफल हुई है। इस पर पूरे देश को गर्व है। हालांकि, अभी चंद्रयान की राह में कई मुश्किलें भी हैं। हम आपको ऐसी ही पांच बड़ी चुनौतियों के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके लिए हमने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव से बात की। विनोद जीएसएलवी-एफ 06 रॉकेट लॉन्चिंग टीम के अहम सदस्य थे। आइए जानते हैं चंद्रयान-3 के बारे में उन्होंने क्या-क्या बताया…
पहले विनोद श्रीवास्तव से जुड़ी कुछ खास बातें जान लीजिए
ये बात 25 दिसंबर 2010 की है। इसरो ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ 06 को लॉन्च किया था। जमीन से उठने के बाद 47.5 सेकेंड तक सबकुछ ठीक था, लेकिन इसके बाद रॉकेट की दिशा बदलने लगी। रॉकेट में खामी की बात का पता चलते ही रॉकेट के डिस्ट्रक्शन का कमांड दे दिया गया। मतलब हवा में ही रॉकेट को ध्वस्त करना पड़ा। उस वक्त उस रॉकेट की कीमत करीब 325 करोड़ रुपये था। ये ध्वस्त करने का कमांड विनोद कुमुार श्रीवास्तव ने ही दिया था। उस वक्त विनोद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के रेंज सेफ्टी ऑफिसर थे। विनोद श्रीवास्तव ने इसरो के साथ-साथ डीआरडीओ में भी पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम किया है।