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आज शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होंगे बाबा केदार, छह माह यहीं होगी पूजा

केदारनाथ धाम के कपाट चार नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। बाबा केदार की डोली सोमवार को रामपुर से दूसरे पड़ाव श्रीविश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची। जगह-जगह पर भक्तों ने आराध्य के दर्शन किए। अब छह माह बाबा की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होगी।

भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक केदारनाथ की चल उत्सव डोली आज मंगलवार को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो जाएगी। इसके बाद छह माह तक बाबा केदार के भक्त अपने आराध्य के दर्शन और पूजा-अर्चना इसी स्थान पर करेंगे।

सोमवार को बाबा केदार की चल उत्सव डोली रामपुर से दूसरे पड़ाव श्रीविश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची। यहां पर सैकड़ों भक्तों ने बाबा का आशीर्वाद लिया। सुबह 7 बजे रामपुर में मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने भगवान केदारनाथ का अभिषेक कर आरती उतारी।

यहां से सेना की बैंड धुनों और भक्तों के जयकारों के बीच बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान किया। डोली बडासू, फाटा, खड़िया, मैखंडा, ब्यूंग, खुमेरा होते हुए दोपहर केा बगड्वाल धार पहुंची।

दिर की परिक्रमा के बाद डोली विराजमान हुई
यहां पर नारायणकोटी और कोठेड़ा के ग्रामीणों ने बाबा की डोली की अगवानी करते हुए भक्तों का स्वागत किया। यहां से डोली नारायणकोटी होते हुए शाम 5.30 बजे अपने दूसरे पड़ाव श्रीविश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची। यहां, मंदिर की परिक्रमा के बाद डोली विराजमान हुई।

श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डाॅ. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि बाबा केदार के आगमन के लिए ओंकारेश्वर मंदिर को फूल-मालाओं से सजाया गया है। डोली के विश्वनाथ मंदिर पहुंचने के मौके पर केदारनाथ मंदिर प्रभारी यदुवीर पुष्पवाण, प्रबंधक भगवती प्रसाद सेमवाल, डोली प्रभारी प्रदीप सेमवाल, पुजारी शिव लिंग, कुलदीप धरम्वाण मौजूद थे।अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें

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